आओ कवित्त //घनाक्षरी लिखना सीखें
by Dr Purnima Rai
कवित्त — यह मुक्तक वर्णिक छंद है ।इसे घनाक्षरी तथा मनहरण भी कहा जाता है। इसमें मुख्यत: 31 से 33 तक वर्ण होते हैं। इसके भेदों में मनहरण,रूप,जनहरण,जलहरण,देव घनाक्षरी हैं।
(1)कवित्त//घनाक्षरी का विधान— इसे मनहरण घनाक्षरी भी कहा जाता है।कवित्त यां घनाक्षरी यां मनहरण इनका विधान इस प्रकार है।—-
इसमें कुल चार चरण होते हैं।एक घनाक्षरी में कुल आठ पंक्तियाँ होती हैं।दूसरी,चौथी,छठी,आठवीं पंक्ति में तुकांतता अनिवार्य है। इनमें 8+7=15 वर्ण होते हैं। पहली,तीसरी,पाँचवीं,सातवीं पंक्ति में 8+8=16 वर्ण होते हैं।प्रत्येक चरण में 31 वर्ण होते हैं। 8वें वर्ण तथा 16वें वर्ण पर यति होती है ।
याद रहे यहाँ आधे वर्ण गिने नहीं जाते हैं। लय साधने हेतु “घनघनघनघन ” का विधान अपनायें ।जिस प्रकार बादल गर्जन करते हैं वैसे ही घनाक्षरी का “घनघनघनघन” के अनुसार गायन करना चाहिये।
उदाहरण—-(1)
बेटी को बचायें हम, बेटी को पढ़ायें सब। 8+8=16
शिक्षा धन झोली डाल, कन्यादान कीजिये।8+7=15
खून की गिरें है बूंदें ,देश-हित में ही सदा
बढ़ो आगे नौजवानों ,रक्तदान कीजिये।।
धरा होगी दूषित तो, मन में भी कुण्ठा जागे
तन-मन स्वच्छता को ,पौधदान कीजिये।।
नशा मुक्त युवा पीढ़ी ,देश का विकास करे
सात्विक विचारों का भी, अनुदान कीजिये।।
डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर।
*********************************** (2)
गम के अंधेरे करें ,दूर सदा मनवा से।8+8=16
रोशनी के दीप हर, घर में जलाइये।।8+7=15
टूट के बिखर गये, मोतियों के कंठहार
फूल चुन बगिया से, माला में सजाइये।।
काली घटा छाये कभी,भाषा-जाति झगड़ों की
प्रेम की लकीर खींच, बैर को भुलाइये।।
वाणी में मिठास दिखे ,कोयल सा सुर मिले।
दुखियों के आँसू पोंछ, साथ मिल गाइये।।
डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर।
क्रमशः
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बहुत सुंदर जानकर और लाजवाब सृजन के लिए हार्दिक बधाई पूर्णिमा जी
Comment:Gud