डाल पे पंछी —-(दोहे)
बैठा पंछी डाल पे, मन की बात बताय।
बिन पानी मरने लगे ,कैसे जान बचाय।।
बैठी कोयल डाल पे,मीठा गान सुनाय।
कांटे चुनके राह के,मंजिल कदम बढ़ाय।
बैठी चिड़िया डाल पे, आँखें नीर बहाय।
बेटी रत्न अमोल है ,हिय में रखें बसाय।।
बैठी मैना डाल पे, अपना शीश झुकाय।
जीवों का वध पाप है,पाप विनाश कराय।।
बैठी बुलबुल डाल पे,रह-रह के घबराय।
माँ मुझको मत मारना,लाख कोइ बहकाय।।
बैठा कौआ डाल पे, चुप की राह दिखाय।
कड़वी वाणी विष भरी, हियरा दुख पहुंचाय।।
बैठा तोता डाल पे, मीठे वचन सुनाय।
मात-पिता मत छोड़ना, सेवा-धर्म निभाय।।
बैठा उल्लू डाल पे,इत-उत है मंडराय।
आंख मूंद चलना नहीं,ज्ञान की लौ जगाय
- डॉ०पूर्णिमा राय
Loading...