चिट्ठी जाने किसकी आयी (गीत)
रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी
ये बादल घन घोर।।
दिल में मेरे बरस रहा है
अब सावन हर ओर।।
भीगे-भीगे दिन मस्ताने
रात-रात भर ख्वाब सुहाने ।
रस्ते मिलते कुछ अंजाने
लगते पर जाने-पहचाने।
मन पागल उड़ने को आतुर
ना जाने है ठोर ————-
हुये तस्वूर अब बंजारे
ये पागल दिल किसे पुकारे।
सूने मन के सूने द्वारे
नयना किसकी बाट निहारे।
मन का पंछी फिरे बावरा
जैसे कोई चकोर——–
मस्तानी महकी पुरवाई
खुशबू भीनी भीनी लायी ।
बादल के संग प्रीति लपेटे
चिट्ठी जाने किसकी आयी।
ये बैचन निगाहें देखो
ढूंढ रही चितचोर——–
अजय कुमार तोमर
सुपुत्र श्री ईश्वर सिंह तोमर
शिक्षा-इण्टर
पता-मकान संख्या 7/311
मोहल्ला ईश्वर पूरी बडौत
जनपद-बागपत उ.प्र.
मो—9528082593
Loading...